पेरिस :तर्क ,वितर्क करके निष्कर्ष पर पहुंचने का शहर
रोशनी का शहर पेरिस॥ तर्क ,वितर्क करके निष्कर्ष पर पहुंचने का शहर। घूमने के बाद यही सोचते हैं, कि जिंदगी में इसे देखना जरूरी था ।अगर यह नहीं देखा, तो एक अनोखी दुनिया देखने से वंचित रह जाती। इस शहर को देखकर फैशनिस्टा में इच्छा होगी शॉपिंग की, तो ज्ञानी को ज्ञान प्राप्त हो जाएगा और अगर पर्यटन दार्शनिक हुआ तो वोल्टायर, माकोर्ट से ज्ञान के प्रमाण और सूत्र खोज लेता है ।साधारण सामाजिक प्राणी मौज मस्ती करके खुश हो जाता है । यहां घूमने पर ऐसे जैसे कि पानी पर चले और भीग़े भी नहीं ।जाने से पहले रेडिएशन प्लेट ,चावल ,दाल लेकर गए थे ।ऐसे मानो तीरथ की उत्कंठा से जा रहे हैं ।हो भी क्यों ना पेरिस एक विख्यात और महंगा शहर जो ठहरा ॥
फ्रांस गणंतात्रिक राष्ट्र है ।इसकी सीमा उत्तर में इंग्लिश चैनल और दक्षिण में मेडिटरेनियन तक जाती है ।फ्रांसीसी सांस्कृतिक पुनर्जागरण काल से ही धरातल पर अपना परचम फहराते आई है। १६वीं शताब्दी में कैथोलिक प्रोटेस्ट इन के मध्य आंतरिक गृह युद्ध में व्यस्त रहना ,सातवीं शताब्दी में लुई १४ वे के शासनकाल में शक्तिशाली सांस्कृतिक राजनीतिक सैन्य शक्ति बन गया। १८वीं शताब्दी में फ्रांसीसी क्रांति ने राजशाही को उखाड़ फेंका और बनाया दिया डिक्लेरेशन ऑफ राइट ऑफ द मैच घोषित होता है। १९वीं शताब्दी में नेपोलियन ने सत्ता संभाली और पहला फ्रेंच राष्ट्र बना। फ्रांस की संलग्नता विश्व युद्ध मे अतीशय ही रही।इसके पश्चात चालॢ देगुल ने बनाया पाँचवा गणतन्त्र आज तक है ।आज की एक विकसित राष्ट्र है। राष्ट्रीय शक्ति के रूप में जाना जाता है।
यहां पर समुद्री जल वायु है और उत्तरी अटलांटिक धारा का प्रभाव है यात्रा के प्रारम्भ मे हम बेंगलुरु से एयरपोर्ट पर कठिन सुरक्षा चैकिंग वगैरह से आरमभ हुआ, हवाईअद्दे पर एक जगह बैठे ही थे, कि सामने एक विदेशी यात्रियों का झूण मिला।उसमें से एक व्यक्ति ने भारतीय तिरंगे वाली टी-शर्ट पहन रखी थी, और साथ ही यहां का प्रेशर कुकर भी रखा था। तो इसे अंदाजा हुआ कि यह पक्के वाले पर्यतक प्रतीत हुए । ज़ो सरलता से घुल मिल जाते हैं । हम लोगों ने एक दूसरे का अभिवादन किया और अपने विमान पकड़ने आग़े बढे और आगे जाकर अपनी सीट पर बैठ कर सकुशल जाने और वापस आने की प्रार्थना की और टेकऑफ के समय ऽ॥प्रवेश नगर कीजे सब काजा हृदय राखी कौशलपुर राजा॥ऽ बोलते हुए यात्रा आरंभ की ।
तकरीबन ४ घंटे बाद हम लोग ,दोहा कतर की राजधानी में जा पहुचे ।यहां एक बार एक बार फिर से सिक्योरिटी चेकिंग से होकर गुजारना था ।यहां पर बात याद करने की है, कि यहां पर द्रव्य किसी भी प्रकार क १००मिली से ज्यादा मात्रा नहीं ले जाई जाती है ,और मेरे बैग में मेरा लोशन था ,जो कि इन लोगों ने निकाल कर मेरी आंखों के सामने कूड़ेदान में डाल दिया और बहुत ही कष्ट हुआ पर हर जगह के अलग नियम।
दोहा से पैरिस के लिए फ्लाइट बदलनी होती है ।पैरिस के लिए डबल डेकर कतर वायु मार्ग विमान में बैठ गए ।जिसमें उच्च प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल हुआ था ।प्लेन में विमान में वाई-फाई की सुविधा के साथ ,सामने की सीट पर लगे स्क्रीन में मूवी, सिनेमा ,गाने और सिनेमा गाने के अलावा ३ डी मैप(यात्रा का मैप) प्रत्यक्ष स्थान निरूप, स्थान निर्धारण करने में सक्षम था। साथ ही साथ आगे के आसपास के शहर और प्लेन के आगे पीछे और नीचे की प्रत्यक्ष छवि प्रस्तुत करता था ।यही है खासियत अंतरराष्ट्रीय विमानों की ,जो आपको नहीं जगहों से वाकिफ कराते हैं। पूरे रास्ते यह मक्का से दूरी के अनुसार अपनी रास्ता नप्त नापता हुआ जा रहा था।
विमान में कुछ जागरूक लोग खिड़की पर थे , कुछ कंबल ताने सो रहे थे और तो कुछ अपना अधूरा काम पूरा करने में लगे हुए थे। फिर हमपहुछे पूछे प्यारे खूबसूरत शहर जिसे सिटी ऑफ लाइट ऽ रोशनी का शहर ऽ कहते हैं, इसलिए नहीं ,क्योंकि यहां बहुत रोशनी है। या यहां बिजली की अच्छी उपलब्धता है बल्कि इसलिए क्योंकि यह अपने निर्णयों में तर्क और वार्तालाप करके निष्कर्ष पर पहुंचते हैं।
पैरिस के हवाई अड्डे पर उतर कर सामान लेने के लिए एकत्रित हुए एशियाई मूल के लोगों को देखकर ही स्नेह बढ़ने लगा, बाहर आए और यहां जहागई बरखा रानी लाई ओला पानी को चरितार्थ कर दिया कहीं एयरपोर्ट पर कोई अज्ञात सामान मिल गया और देखते ही देखते पूरा हवाई अड्डा बंद कर दिया गया ।ना कोई आ सकता था, ना कोई जा सकता था ।जो जहां था वहीं रुक गए थोड़ी ही, देर में सैन्य अधिकारी अपने सशस्त्र बलों के साथ, छोटे-छोटे विभिन्न टुकड़ों में गश्त लगाने लगी ।चारों तरफ गाड़ियां रूक गई ।सामने की गाड़ी में एक बिल्ली अपनी मालकिन को इतनी देर में कई बार अंदर से बाहर और दूर-दूर तक के चक्कर लगवाती नजर आए ।लगभग१५ मिनट बाद सब कुछ सही हुआ और हम टैक्सी लेकर होटल की तरफ आए।
चुकि ड्राइवर देखने में भारतीय मूल का प्रतीत होता था। तो उत्सुकता बस हमने पूछ लिया तो पता चला, कि इसके माता-पिता श्रीलंका के हैं, परंतु यह अपने बीवी और बच्चे के साथ बस गया है ,साथ ही फ्रेंच और अन्य भाषाओं में माहिर हो चुका है। शहर की दीवारों पर बनी ग्राफिटी और लहराती बलखाती सड़कें और गिरे हुए पीले पत्ते आपका स्वागत करते नहीं रुकते थे।
डेढ़ घंटे बाद हमारा होटल आया फिर होटल में अंदर काउंटर पर बैठे व्यक्ति से बोनज़ोर कहते हुऎ,अभिवादन हुआ और आगे की प्रक्रिया शुरू हुई। जहां पर दो बड़ी कुर्सियां थी दो बड़ी पीली कुर्सियां थी और साथ में ही अख़बार और मैगजीन का स्टैंड था और लाल रंग का कालीन हमें स्वागत करते हुआ, हमारे कमरे में ले गया ।यहां पर पेरिस के अनेको चित्र दर्शाए गए थे। हमारे कमरे में बनने के विभिन्न चरणों का भी चित्र था एक कोने में कमरे पर एक बड़ा सा शीशा बताइए और फूलदान और एक खिड़की जो हमें सड़क के दर्शन करा दी थी यहां बाल्टी मग उपलब्ध नहीं होता है आप या तो टब में नहा सकते हैं या में नहा सकते हैं या खड़े होकर स्नान कर लीजिए,
थोड़ी देर सामान सही करने के बाद हम लोग निकल चले आसपास का पता लगाने के लिए ठंडी का आलम, यह था कि कपड़ों की २ पर्ते पहन लेने के बावजूद भी कांप रहे थे और अपना भारत उस वक्त बहुत याद आ रहा था।
होटल से निकलते ही हमारे सामने पेरिस की मशहूर बेकरी आने लगी और बिक्री में थे, एक से एक खूबसूरत जायकेदार पेस्ट्री , क्रॉसओं (जो यहां का एक प्रसिद्ध बेकरी आइटम है) और विभिन्न प्रकार के एक १ फुट लंबे ब्रेड, कुछ मोटे, तो कुछ चॉकलेटी आकार के और तितलियों की सुंदरता जैसे पेस्ट्री और के आपका मन ललचा ही लेते हैं। अगले पूरे १ हफ्ते तक हमने रोज सुबह बेकरी का नाश्ता किया। तभी सामने एक विशालतम शीशों का बना हुआ १६० फुट लंबा गगनचुंबी इमारत दूर से नजर आने लगी कहते हैं, जिसे मोन्त्पर्नस्से टावर केह्ते है।२०१० तक फ्रांस की सबसे ऊंची इमारत थी। यहां ऊपरी तरफ से पूरे शहर के दर्शन होते हैं , एफिल टावर की असाधारण तस्वीरें और और रात में पूरे शहर की जगमग़ाहट को अपनी आंखों में बसाए वापस आ गए।यहा से आगे दूसरे अन्श मे आगे पढे।