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Importance of Basant Panchmi 2020

बसंत पंचमी का क्या है महत्व?

ये आप स्वराज द्वीप समूह के उत्साहित युवाऔ से लगा सकते हैं।

पूरे एक महीने पहले से शुरू होने वाली तैयारी – लड़के सजे हुए मुर्शिदाबाद जरीदार कुर्ता-पायजामा, चमकिले जैकट मे नजर आते थे और ल़डकि लड़किया साड़ी मे जो कि ज़्यादातर पीले – नारंगी और इसी बासंती रंग को प्रोत्साहित करती थी।

हमने एक ग्रामीण प्रारंभिक स्कूल मे जाकर हवन, पूजा और आराधना की थी।

वो भी अभय जो कि हमारा टूरिस्ट गाइड था ( एेलीफेनटा बीच ट्रेकिंग का)

उसने हमे पूजा के बारे मे अवग़त कराया था ।

आपको देख के विस्वास नहीं होता कि मुख्य भारतीय संस्कृति से इतनी दूर बसा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के स्वराज समुह पर संस्कृति की झलक मिलती है।

यहा भले ही ज़मीन की लंबाई कम हो और पेट्रोल भरवाने के लिए लंबी लंबी कटारे लगानी पड़ती है।

छोटे छोटे कमरे के लिए खूब धनराशि खर्च करनी होती है।

आज तीन साल बाद भी अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की यादें जिवंत हो जाती है।

आज बसंत पंचमी के दिन ही सरस्वती जी का जन्मदिन होता है और जो भी विद्या के इच्छुक लोग है उनको ए ‘ की पांच माला जाप करनी चाहिए।

इस दिन बच्चों के विद्या आरंभ से लेकर हर नये कार्य की शुरुआत की जाँ सकती है।

नयी विद्या सीखना नए कौशल विकास करना और अपने पास्ट (भूतकाल), वर्तमान और भविष्य के सभी गुरूजनों को नमन करते हैं और माँ सरस्वती द्वारा दिए गए सभी ग्यान के भंडार के आभार प्रकट किया जाता है।

साथ ही साथ बच्चों को श्लोक के माध्यम से अवग़त करा सकते है ।

सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।

विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥

अब वापस ले चलते हैं आपको स्वराज समुह

जहा 2004 का सबसे स्वच्छ समुद्री किनारा जिसे राधा नगर बीच के नाम से जाना जाता है।

यहा समुद्री किनारों पर मैंग्रोव्स पौधे होते हैं जो तटों की रक्षा करते हैं।

इतिहास के पन्नों के अनुसार यहा सुभाष चंद्र बोस ने 30 दिसम्बर 1954 को तिरंगा लहराया था और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को ब्रिटिश शासन से आजाद घोषित कर दिया था।

यहा मुख्य आकर्षण है – एेलीफेनटा बीच- जहा आप जेट से भी जाँ सकते हैं और ट्रेकिंग से भी जाँ सकते हैं (वो अभय गाइड हमे यही मिला था और उसके मन में मुख्य भूमि भारत के बारे मे जानने की बहुत जिज्ञासा थी..जैसे कि यहा से दिल्ली तक कि टिकट कितने की है, जाने के कौन कौन से रास्ते है। 

दूसरा मुख्य बीच है कालापत्थर बीच यहा जलीय -जंतु से सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है

निष्कर्ष मे बस यही कहना है, “कि आप जहा भी रहे धरोहर को सम्हाल के रखे हुए आगे आने वाली पीढियों को उसका महत्व समझाते रहे”।..

अपनी यात्रा का एक उद्देश्य है ही किसी तिथि विशेष के रूप मे जगह को याद रखना।

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