साहस के 3 फुट
आपने कभी हिम्मत को वास्तविक जीवन में देखा है? क्या कभी ऐसा लगे कि आप धन्यभागी लोगों के बीच में है।
मेरे पहले उत्कर्ष योग के लिए मेरी मुलाक़ात हुई कुछ खास साहसिक और प्यारे बच्चों से !
जिनमे से कुछ का सफर शुरू हुआ अद्भुत जीवनी शक्ति के साथ ॥
उन्होंने कृतज्ञता व्यक्त करते हुए प्रणाम किया हरे कृष्णा नमस्ते! सफेद रंग का लंबा टीका माथे पर और कानो पर टिका
गले मे तुलसी की माला पहने ये सभी साक्षात बाल कृष्ण की छवि लग रहे थे।
पहले दिन खेल कूद और कुछ सुनहरे ञान की चाभी को समझाते हुए निकल गया । साथ ही आने वाले दिन में कुछ गृहकार्य करके आने को कहा गया।
सवाल था आपको क्या खाना पसंद है? आप कहा जाना पसंद करते हैं ?
अगले दिन उतर मिला। खाने के उत्तर मिला रोटी, सब्जी और पोलीगेरे पसंद है।
इतनी तनलिनता थी बच्चों मे कि जवाब मिला वैकुण्ठ धाम ही जाना है।
दूसरे बच्चे जिस उम्र मे खूब प्रशंसा, खेलकूद और ऐश ऐश्वर्य के अधीन होते हैं । इस उम्र मे अपने दैनिक जीवन के कार्य स्वः करते हैं और ज्यादातर ध्यान खाने को कुछ अच्छा मिल जाए (अच्छा खाना), और ज्ञानवर्धक मे थे।
कुछ बच्चों मे अपार संभावनाएं हैं।
जैसे प्रञावान बालक राहुल जो कि अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषा में अनुवाद करने के साथ अच्छा प्रदर्शन कर रहा हैं।
एक बहुत खास अनुभव रहा कि यहा इनको असुरक्षा की भावना बिल्कुल भी नहीं है।
शायद ये बच्चे जीवन की कला मे माहिर हो रहे है । यही सबसे बडी संतुष्टी हैं मेरी ।
अतिरिक्त जानकारी देख़े,दूसरी हिन्दी पोस्ट