यात्रा-वृतान्त
विदेश में प्रवास के दौरान ,मैंने पाया की सभी अपनी मातृभाषा को बहुत महत्व देते हैं। यूरोपियन देश होने के बावजूद भी, फ्रांस में फ्रांसीसी ही बोली जाती और वहां पर अंग्रेजी का इस्तेमाल कम था ,अभी सभी देशवासी अपनी भाषा को सम्मान के साथ उपयोग में लाते।जो भाव प्रवाह हिंदी में आता। वह दूसरी भाषा में नहीं आ पा रहा था। इसीलिए यात्रा वृतांत जिसमें हमारे साथ महसूस कर सकेंगे ।
बहुत सारे मजे हुए, लेखकों के यात्रा वृतांत पढ़ने के बाद। यह मेरा प्रयास है ।अपनी भावनाओं को आप तक पहुंचाने का आशा है। आपको पसंद आएगा!